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बसंत पंचमी: ज्ञान, उल्लास और नई ऊर्जा का शुभ पर्व |

नई दिल्ली, 02 फरवरी 2025: पूरे देश में बसंत पंचमी का पर्व उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। ज्ञान, कला और संगीत की देवी मां सरस्वती को समर्पित इस पावन अवसर पर समस्त भारत पीले रंग की आभा से सुसज्जित हो उठता है। बसंत ऋतु के आगमन का संकेत देने वाला यह पर्व न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी बेहद खास माना जाता है।

बसंत पंचमी का महत्व

बसंत पंचमी विद्या, बुद्धि और सृजनात्मकता के विकास का प्रतीक है। मान्यता है कि इसी दिन मां सरस्वती प्रकट हुई थीं और उन्होंने संसार को ज्ञान, संगीत और विद्या का अनुपम उपहार दिया। छात्र, कलाकार और साहित्य प्रेमी इस दिन विशेष रूप से मां सरस्वती की आराधना करते हैं और विद्या के मार्ग पर आगे बढ़ने का संकल्प लेते हैं।

पूजा विधि और परंपराएँ

इस शुभ अवसर पर भक्तगण पीले वस्त्र धारण करते हैं, क्योंकि यह रंग समृद्धि, बुद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। घरों, विद्यालयों और मंदिरों में मां सरस्वती की विशेष पूजा-अर्चना होती है। भोग में केसर युक्त मीठे पकवान और हलवा बनाया जाता है। संगीत, कवि सम्मेलन और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी इस दिन विशेष रूप से किया जाता है।

पतंगबाजी का जोश और उमंग

बसंत पंचमी का एक और आकर्षण है पतंगबाजी! पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से भर जाता है। बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी इस पर्व का उत्साहपूर्वक आनंद लेते हैं और “बो काटा!” के जयकारों से माहौल गूंज उठता है।

विद्यालयों में विशेष आयोजन

शिक्षण संस्थानों में इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है और विद्यार्थी अपनी पढ़ाई में प्रगति की कामना करते हैं। कई स्कूल और कॉलेजों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों, संगीत प्रतियोगिताओं और निबंध लेखन जैसी गतिविधियों का आयोजन होता है।

बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!

इस उल्लासपूर्ण पर्व पर आप सभी को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ! मां सरस्वती का आशीर्वाद आप सभी पर बना रहे और आपके जीवन में ज्ञान, कला और समृद्धि की रोशनी बनी रहे। इस पावन दिन को श्रद्धा, प्रेम और उल्लास के साथ मनाएँ और नई ऊर्जा के साथ अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ें!

“सरस्वती वंदना करूँ, ज्ञान अमृत पीऊँ, बसंत की मधुर बयार में, नवसृजन के रंग भरूँ।”

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