समर्पण, श्रद्धा और विश्वास से ही भक्ति होती है परिपूर्ण: कर्नल एच. एस. गुलेरिया
मनीमाजरा (वरिष्ठ पत्रकार नरिंदर चावला ), 15 मार्च – होली सिर्फ रंगों का त्यौहार नहीं, बल्कि नफरत को प्रेम में बदलने का आधार भी है। यह त्यौहार आपसी सद्भाव और भाईचारे का संदेश देता है। इसी भावना को व्यक्त करते हुए संत निरंकारी मंडल के मेंबर इंचार्ज, प्रचार एवं प्रसार विभाग, कर्नल एच. एस. गुलेरिया ने विशाल निरंकारी संत समागम में श्रद्धालुओं को संबोधित किया।
मौली जागरां स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन में हुए इस समागम में उन्होंने कहा कि बाबा हरदेव सिंह जी महाराज ने कहा था – “जो हरि का हो लिया, उसी की सही मायनों में होली है।” जो लोग प्रभु परमात्मा का बोध प्राप्त कर लेते हैं, उनके जीवन में सदैव होली का आनंद बना रहता है।
भक्ति में प्रेम का होना आवश्यक
कर्नल गुलेरिया ने भक्ति और प्रेम का महत्व समझाते हुए कहा कि “जिस प्रकार बेल का अस्तित्व पत्तों से होता है, उसी तरह भक्ति में प्रेम का महत्व होता है। अगर बेल पर पत्तियां नहीं होंगी तो उपवन उजड़ा नज़र आएगा, ठीक उसी प्रकार यदि भक्ति में प्रेम नहीं होगा तो वह शुष्क और नीरस हो जाएगी।”
उन्होंने कहा कि समर्पण, श्रद्धा और विश्वास से ही भक्ति परिपूर्ण होती है। सतगुरु और भक्त का प्रेम ही भक्ति का असली स्वरूप है। जब प्रेम और भक्ति एक हो जाते हैं, तो आत्मा नूरानी हो जाती है।
अहंकार से बचने का संदेश
कर्नल गुलेरिया ने आगे कहा कि “लोहा कितना भी मजबूत हो, लेकिन अगर उसे जंग लग जाए, तो वह स्वयं ही खराब हो जाता है। इसी तरह व्यक्ति कितना भी अच्छा हो, उसका अभिमान ही उसे डुबो सकता है।” सत्संग में आने से मान और अभिमान समाप्त हो जाता है, इसलिए हर कार्य किसी उद्देश्य (Cause) के लिए करें, न कि केवल प्रशंसा (Applause) पाने के लिए।
उन्होंने साध संगत को संदेश दिया कि सेवा, सत्संग और सिमरन केवल समर्पित भाव से करें।