प्रेम, सेवा और भाईचारे का प्रसार रक्तदान का महाअभियान |
281 निरंकारी श्रद्धालुओं ने निःस्वार्थ भाव से रक्तदान किया।
मोहाली, 24 अगस्त (सीनियर ब्यूरो चीफ नरेंद्र चावला):
निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के पावन आशीर्वाद से मोहाली के फेज-6 स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन में संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन के तत्वाधान में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया।
रक्तदान शिविर का उद्घाटन
इस शिविर का उद्घाटन चंडीगढ़ ज़ोन के जोनल इंचार्ज श्री ओ.पी. निरंकारी जी ने अपने कर कमलों द्वारा किया। उनके साथ मोहाली संयोजक डॉ. श्रीमती जे.के. चीमा, सेवादल अधिकारी एवं अन्य गण्यमान्य महात्मा उपस्थित रहे।
281 श्रद्धालुओं ने किया निःस्वार्थ रक्तदान
आज आयोजित शिविर में कुल 281 श्रद्धालुओं, जिनमें अनेक महिलाएं भी शामिल थीं, ने निःस्वार्थ भाव से रक्तदान किया और “रक्तदान – महादान” के संकल्प को साकार किया।
सतगुरु माता सुदीक्षा जी का संदेश
जोनल इंचार्ज श्री ओ.पी. निरंकारी जी ने सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज का संदेश देते हुए कहा:
“रक्त का कोई धर्म नहीं होता, लेकिन जब हम रक्तदान करते हैं तो हम इंसानियत का सबसे बड़ा धर्म निभाते हैं। यह सेवा किसी एक व्यक्ति की नहीं बल्कि संपूर्ण समाज की सेवा है।”
निरंकारी मिशन का रक्तदान अभियान
- यह अभियान 1986 में बाबा हरदेव सिंह जी महाराज द्वारा आरंभ किया गया।
- अब तक निरंकारी मिशन द्वारा लगभग 9000 शिविर आयोजित किए जा चुके हैं।
- इन शिविरों से 15 लाख यूनिट रक्त देशभर के ब्लड बैंकों में उपलब्ध कराया गया।
रक्तदान का मुख्य उद्देश्य
- आपातकालीन स्थिति में ज़रूरतमंदों को रक्त की उपलब्धता।
- समाज में रक्तदान के प्रति जागरूकता बढ़ाना।
- युवाओं को सेवा और भक्ति से जोड़ना।
संयोजक का आभार
इस अवसर पर मोहाली इकाई की संयोजक डॉ. जे.के. चीमा जी ने सभी रक्तदाताओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा:
“हर बूंद जो किसी ज़रूरतमंद को जीवन देती है, वह प्रेम की बूंद है। यही संत निरंकारी मिशन का उद्देश्य है — प्रेम, सेवा और भाईचारे का प्रसार।”
मेडिकल टीम का योगदान
- पीजीआई ब्लड ट्रांसफ्यूजन विभाग, चंडीगढ़ की डॉ. संगीता (एसोसिएट प्रोफेसर) के नेतृत्व में 16 सदस्यीय टीम मौजूद रही।
- सिविल अस्पताल मोहाली की डॉ. राजवीर कौर (असिस्टेंट प्रोफेसर) की टीम ने भी सक्रिय सहयोग दिया।
निष्कर्ष
संत निरंकारी मिशन का यह रक्तदान शिविर मानवता, सेवा और भाईचारे की मिसाल है। जैसे बाबा हरदेव सिंह जी महाराज ने कहा था —
“रक्त नालियों में नहीं, नाड़ियों में बहे।”
इसी संदेश को साकार करते हुए 281 श्रद्धालुओं ने अपना योगदान दिया।