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15,000 से ज्यादा अस्पतालों ने रोकी कैशलेस सुविधा, बाजाज आलियांज़ बीमा धारकों पर बढ़ी मुश्किलें

नई दिल्ली, 25 अगस्त 2025: उत्तर भारत के 15,000 से अधिक अस्पतालों ने बाजाज आलियांज़ जनरल इंश्योरेंस कंपनी के साथ कैशलेस इलाज की सुविधा बंद करने का फैसला लिया है। यह फैसला 1 सितंबर 2025 से लागू होगा।

एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स–इंडिया (AHPI) के मुताबिक, अस्पताल लंबे समय से बीमा कंपनियों से पैकेज रेट्स बढ़ाने की मांग कर रहे थे। उनका कहना है कि पिछले कई सालों से मेडिकल महंगाई 7–8% सालाना बढ़ रही है, लेकिन बीमा कंपनियां पुराने रेट्स पर ही भुगतान कर रही हैं।

अस्पतालों ने आरोप लगाया कि बाजाज आलियांज़ की ओर से बार-बार क्लेम में कटौती, भुगतान में देरी और प्री-ऑथराइजेशन की जटिल प्रक्रिया को लेकर स्थिति और खराब होती जा रही थी। यही कारण है कि बड़े अस्पताल नेटवर्क—जिनमें मैक्स हेल्थकेयर, मेदांता और पीएसआरआई जैसे नाम शामिल हैं—ने कैशलेस सुविधा को निलंबित करने का फैसला लिया।

मरीजों पर असर

अब बाजाज आलियांज़ की पॉलिसी रखने वाले मरीजों को अस्पताल में इलाज के दौरान पूरा खर्च अपनी जेब से चुकाना होगा। इलाज के बाद वे बीमा कंपनी से रीइम्बर्समेंट क्लेम कर पाएंगे।

बीमा कंपनी का पक्ष

बाजाज आलियांज़ जनरल इंश्योरेंस ने इस फैसले पर हैरानी जताई है और कहा है कि वे इस मुद्दे को सुलझाने के लिए बातचीत के लिए तैयार हैं।

बड़ी तस्वीर

विशेषज्ञ मानते हैं कि यह विवाद भारत के स्वास्थ्य बीमा और अस्पतालों के बीच लंबे समय से चली आ रही खींचतान को उजागर करता है। अस्पताल जहां बढ़ती लागत का हवाला देते हैं, वहीं बीमा कंपनियां पैकेज रेट्स को नियंत्रित रखना चाहती हैं।


👉 निष्कर्ष:
यह विवाद अगर जल्द नहीं सुलझा तो लाखों बीमा धारकों को इलाज के समय भारी वित्तीय बोझ उठाना पड़ सकता है।

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