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एक को जान कर व एक को मानकर भक्ति करना ही वास्तविक भक्ति है

चण्डीगढ़ 8 मई 2025 (नरिन्दर चावला, सीनियर ब्यूरो चीफ) : पांच तत्वों से बने शरीर को या तो जला दिया जाता है या दफना दिया जाता है या पानी में बहा दिया जाता है लेकिन उसमें जो छठा तत्व होता है वह कहां जाता है यह केवल उसी को पता होता है जो एक को जानकर एक को मानकर भक्ति करने वाले होते हैं क्योंकि उनको जीते जी पता चल जाता है कि मैं कौन हूं कहां से आया हूं और कहां मुझे जाना है? उनकी अवस्था ऐसी होती है जैसे यदि पानी से भरे एक घड़े को ढक्कन लगाकर पानी में डाल दिया जाए तो घड़े के अन्दर और बाहर पानी ही होता है, उसी प्रकार जो परमात्मा को जान लेतें हैं उन्हें भी अपने शरीर के अन्दर और बाहर परमात्मा का ही हर समय एहसास होता है, यह शरीर रूपी घड़ा जब फूटता है तो आत्मा (पानी) परमात्मा (जल) में समा जाती है, ये उद्गार यहां सैक्टर 30 में स्थित सन्त निरंकारी सत्संग भवन में गोरखपुर से आए केन्द्रीय प्रचारक श्री दीन दयाल जी ने हजारों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए ।

           श्री दीनदयाल ने आगे कहा कि किसी स्थान पर यदि हर दुकान पर नकली पनीर ही खाने को मिलता हो तो वहां के लोग वही खाने के आदि हो जाते हैं और कोई आकर उनके सामने असली पनीर रख दे और कहे कि यह नकली नहीं असली पनीर है तो उन्हें जल्दी से विश्वास नहीं होता । ठीक इसी प्रकार आज सत्गुरू माता सुदीक्षा जी द्वारा शहर-शहर गांव गांव में जाकर आवाज़ दी जा रही है कि जिस परमात्मा को आप वर्षों से ढूंढ रहे हैं उसके दर्शन कर लो लेकिन लोगों को जल्दी से विश्वास नहीं होता क्योंकि आज का इन्सान भ्रम भ्रान्तियों में इतना फंस चुका है और उसके दिमाग में यह बिठाया जा चुका है कि परमात्मा की जानकारी हासिल नहीं हो सकती ।

इसी लड़ी में कल देर शाम को रायपुर रानी में गोरखपुर से आए केन्द्रीय प्रचारक श्री दीन दयाल जी ने सेकड़ों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं को सत्संग में सम्बोधित किया और वहां भी इन्होने सभी को ब्रहमज्ञान के दुवारा निरंकार प्रभु के साथ जुडने की प्रेरणा दी।

             इससे पूर्व यहां के ज़ोनल इन्चार्ज श्री ओ पी निरंकारी ने सर्वत्र साधसंगत की ओर से श्री दीनदयाल जी का यहां पधारने पर धन्यवाद व स्वागत किया तथा सत्गुरू से सभी के लिए हर प्रकार के सुखों की कामना की।

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