औषधीय पौधों का बाजार 2026 तक 14 बिलियन रुपये पहुंचने की उम्मीद
कोविड के बाद औषधीय पौधों की मांग में 30% वृद्धि
भारत की 5 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी में आयुर्वेद की अहम भूमिका – डॉ. अरुण चंदन
चंडीगढ़ में औषधीय पौधों के व्यापार और नए अवसरों पर व्यापक चर्चा
चंडीगढ़, 18 मार्च (ब्यूरो प्रमुख नरेंद्र चावला):-नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्निकल टीचर्स ट्रेंनिंग एंड रिसर्च (एनआईटीटीटीआर) सेक्टर 26, चंडीगढ़ में मंगलवार को दो दिवसीय “क्षेत्रीय क्रेता-विक्रेता बैठक” का आयोजन किया गया। इस बैठक का आयोजन आरसीएफसी एनआर-1, एनएमपीबी, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा किया गया, जिसमें औषधीय पौधों के बाजार, व्यापार अवसरों और उद्योग की संभावनाओं पर गहन चर्चा हुई।
औषधीय पौधों का बढ़ता महत्व
कोविड-19 के बाद से औषधीय पौधों की मांग में लगभग 30% की वृद्धि देखी गई है। भारत सरकार और आयुष मंत्रालय इस क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए नए कदम उठा रहे हैं। इस बैठक में विशेषज्ञों ने औषधीय पौधों की खेती, विपणन और उनके व्यवसायिक विस्तार पर चर्चा की।
कार्यक्रम का शुभारंभ और विशेषज्ञों के विचार
मुख्य अतिथि नित्यानंदम श्री (आनंदम आयुर्वेद) ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की शुरुआत की। उन्होंने औषधीय पौधों के क्षेत्र में मौजूद संभावनाओं और चुनौतियों पर अपने विचार साझा किए।
पहले सत्र में डॉ. अरुण चंदन (क्षेत्रीय निदेशक, आरसीएफसी एनआर-1) ने औषधीय पौधों के क्षेत्र में प्रमुख चुनौतियों, अवसरों और आपूर्ति श्रृंखला पर प्रकाश डाला। इस सत्र में डॉ. जितेंद्र सोढ़ी (सीएमडी, आयुष हर्ब्स) और डॉ. जेपी सिंह (श्री धन्वंतरि हर्बल्स) ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए।
औषधीय उद्योग में बाजार रणनीति और व्यापार के अवसर
अगले सत्र में नित्यानंदम श्री (आनंदम आयुर्वेद) ने औषधीय उद्योग में विपणन रणनीतियों और बाजार पहुंच पर विस्तार से चर्चा की। तत्पश्चात महेश किलनोट (त्रिंबकेश्वर ब्रज किशन प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड) ने औषधीय पौधों की खेती के अपने अनुभव साझा किए।
कार्यक्रम के अंतिम सत्र में क्रेता और विक्रेता के बीच संवाद सत्र आयोजित किया गया, जिसमें व्यापारिक सहयोग और गुणवत्ता युक्त औषधीय पौधों की खरीद प्रक्रिया पर चर्चा की गई।
औषधीय पौधों के व्यापार में नई संभावनाएं
इस बैठक को औषधीय पौधों के व्यापार और उद्योग जगत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया गया। आयोजकों ने बताया कि यह बैठक नए व्यापारिक संबंधों और अवसरों को बढ़ावा देने में मील का पत्थर साबित हुई है।
इस कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों से आए विशेषज्ञों और उद्यमियों ने भाग लिया और औषधीय पौधों के उत्पादन और विपणन को बढ़ावा देने के लिए आपसी सहयोग की प्रतिबद्धता व्यक्त की।