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निरंकारी मिशन के ‘प्रोजेक्ट अमृत’ के तृतीय चरण के अंतर्गत चंडीगढ़ जोन की दो ब्रांचों; मोहाली फेस 6 और टी डी आई सिटी ने संयुक्त रूप से चलाया सफाई अभियान “स्वच्छ जल, स्वच्छ मन”

मोहाली, 23 फरवरी, 2025 (नरिंदर चावला): संत निरंकारी मिशन की सेवा भावना और मानव कल्याण के संकल्प को साकार करने

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निरंकारी मिशन द्वारा ‘प्रोजेक्ट अमृत’ परियोजना के तहत मंडी गोबिंदगढ़ में चलाया गया सफ़ाई अभियान । 

मंडी गोबन्दगढ़ 23-फ़रवरी(जगदीश कुमार):- प्रोजेक्ट अमृत के अंतर्गत ‘स्वच्छ जल, स्वच्छ मन’ की परियोजना के तृतीय चरण में सतगुरु माता

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निरंकारी मिशन के ‘प्रोजेक्ट अमृत’ का तृतीय चरण स्वच्छ जल, स्वच्छ मन की ओर एक सार्थक कदम

दिल्ली, 21 फरवरी, 2025:- संत निरंकारी मिशन की सेवा भावना और मानव कल्याण के संकल्प को साकार करने हेतु ‘प्रोजेक्ट अमृत’ के अंतर्गत ‘स्वच्छ जल, स्वच्छ

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स्वयं को आध्यात्मिकता से जोड़कर जीवन को सरल बनाए – सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज

चंडीगढ़/ पंचकुला/ उदयपुर 17 फरवरी 2025 (राजिंदर कुमार/नरिंदर चावला) :- संत निरंकारी मिशन द्वारा उदयपुर में एक भव्य संत समागम

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संत निरंकारी मिशन ने रक्तदान शिविर द्वारा दिया विश्व भाईचारे व एकता का दिया संदेश।

148 श्रद्धालुओं ने किया रक्तदान समगौली, 09 फरवरी 2025:- निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज का संदेश, “अपने जीवन का

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ब्रह्मज्ञान के बाद इंसान के मन में मिलवर्तन का भाव पैदा होता है: जोगिन्द्र मनचन्दा जी

चंडीगढ़, 9 फरवरी 2025: जब इंसान सतगुरु की शरण में जाकर ब्रह्मज्ञान हासिल कर लेता है तो उसके बाद इंसान

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महाकुंभ में भगदड़ के बाद अखाड़ों ने मौनी अमावस्या ‘अमृत स्नान’ किया रद्द: महंत रविंद्र पुरी

प्रयागराज, 29 जनवरी 2025: महाकुंभ मेले के दौरान मौनी अमावस्या के पावन अवसर पर संगम में स्नान के लिए उमड़ी

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एक दूसरे का आदर-सत्कार करते हुए कर्तव्यों का पालन करे- सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज

एक दूसरे का आदर-सत्कार करते हुए कर्तव्यों का पालन करे- सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज
सतगुरु के पावन सान्निध्य में आयोजित निरंकारी सामूहिक विवाह समारोह में 93 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे

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जीवन का उद्देश्य केवल भौतिक उपलब्धियों में नहीं बल्कि आत्मिक उन्नति में निहित है – सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज

भक्ति का सुगंध बिखेरते हुए 58वें निरंकारी सन्त समागम का सफलतापूर्वक समापन | पिंपरी, पुणे 27 जनवरी,2025:-‘‘जीवन का उद्देश्य केवल भौतिक उपलब्धियों में नहीं बल्कि आत्मिक उन्नति में निहित है।’ये उद्गार निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने महाराष्ट्र के 58वें वार्षिक निरंकारी सन्त समागम के तीसरे एवं समापन दिवस पर लाखों की संख्या में उपस्थित मानव परिवार को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। इस तीन दिवसीय समागम का कल रात विधिवत रूप में सफलता पूर्वक समापन हो गया। सतगुरु माता जी ने आगे कहा कि मनुष्य जीवन को इसलिए ऊँचा माना गया है, क्योंकि इस जीवन में आत्मज्ञान प्राप्त करने की क्षमता है परमात्मा निराकार है, और इस परम सत्य को जानना मनुष्य जीवन का परम लक्ष्य होना चाहिए। अंत में सतगुरु माता जी ने फरमाया कि जीवन एक वरदान है और इसे परमात्मा के साथ हर पल जुड़कर जीना चाहिए। जीवन के हर पल को सही दिशा में जीने से ही हमें आत्मिक सन्तोष एवं शान्ति मिल सकती है, हम असीम की ओर बढ़ सकते हैं। इसके पूर्व समागम के दूसरे दिन सतगुरु माता जी ने अपने अमृत वचनों में कहा कि जीवन में भक्ति के साथ कर्तव्यों के प्रति जागरुक रहकर संतुलित जीवन जियें यह आवाहन सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने पिंपरी पुणे में आयोजित 58वें वार्षिक निरंकारी सन्त समागम के दूसरे दिन शाम को सत्संग समारोह में विशाल रूप में उपस्थित श्रद्धालुओं को किया। सतगुरु माताजी ने फरमाया कि जैसे एक पक्षी को उड़ने के लिए दोनों पंखों की आवश्यकता होती है, वैसे ही जीवन में भक्ति के साथ साथ अपनी सामाजिक एवं पारिवारिक जिम्मदारियों को निभाना अति आवश्यक है। यदि कोई केवल भक्ति में ही लीन रहते हैं और कर्मक्षेत्र से दूर भागने का प्रयास करते हैं तो जीवन संतुलित बनना सम्भव नहीं। दूसरी तरफ भक्ति या आध्यात्मिकता से किनारा करते हुए केवल भौतिक उपलब्धियों के पीछे भागने से जीवन को पूर्णता प्राप्त नहीं हो सकती। सतगुरु माताजी ने आगे समझाया कि वास्तव में भक्ति और जिम्मेदारियों का निर्वाह का संतुलन तभी सम्भव हो पाता है जब हम जीवन में नेक नीयत, ईश्वर के प्रति निष्काम निरिच्छित प्रेम और समर्पित भाव से सेवा का जज्बा रखें। केवल ब्रह्मज्ञान प्राप्त करना काफी नहीं, बल्कि उसे अपने जीवन में अपनाना भी आवश्यक है। एक उदाहरण के द्वारा सतगुरु माता जी ने समझाया कि जैसे कोई दुकानदार अपने काम को पूरी ईमानदारी और संतुलन के साथ करता है, ग्राहक को मांग के अनुसार सही नापतोल करके माल देता है और उसका उचित मूल्य स्वीकारता है। अपने कार्य में पूरी तरह से संतुलन बनाए रखता है। इसी तरह भक्त परमात्मा से जुड़कर हर कार्य उसके अहसास में करता रहता है, सत्संग सेवा एवं सिमरण को प्राथमिकता देता है, यही वास्तविकता में भक्ति का असली स्वरूप है। इसके पहले आदरणीय निरंकारी राजपिता रमित जी ने अपने विचारों में कहा कि भक्ति का उद्देश्य परमात्मा के साथ एक प्रेमपूर्ण नाता जोड़ने का हो। इसके लिए संतों का जीवन हमारे लिए प्रेरणास्रोत होता है जो हमें अपनी आत्मा का मूल स्वरूप परमात्मा को जानकर जीवन का विस्तार असीम सच्चाई की ओर बढ़ाने की शिक्षा देता है। आपने बताया कि हमें अपनी आस्था और श्रद्धा को सच्चाई की ओर मोड़ना चाहिए और हर पल कदम में परमात्मा के प्रेम को महसूस करना चाहिए तभी सही मायनो में भक्ति का विस्तार सार्थक होगा। समागम की कुछ झलकियां कवि दरबार             समागम के तीसरे दिन एक बहुभाषी कवि दरबार का आयोजन किया गया जिसमें जिसका विषय था ‘विस्तार – असीम की ओर।’महाराष्ट्र के अतिरिक्त देश के विभिन्न स्थानों से आए हुए 21 कवियों ने मराठी, हिन्दी, अंग्रेजी, कोंकणी, भोजपुरी आदि भाषाओं में इस कवि दरबार में काव्य पाठ करते हुए मिशन के दिव्य सन्देश को प्रसारित किया। श्रोताओं द्वारा कवियों की भूरि भूरि प्रशंसा की गई।             मुख्य कवि दरबार के अतिरिक्त समागम के पहले दिन बाल कवि दरबार एवं दूसरे दिन महिला कवि दरबार का आयोजन लघु रूप में किया गया। इन दोनों लघु कवि दरबार कार्यक्रमों में मराठी, हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषाओं के माध्यम से 6 बाल कवि एवं 6 महिला कवियों ने काव्य पाठ किया जिसकी श्रोताओं द्वारा अत्यधिक प्रशंसा की गई।  निरंकारी प्रदर्शनी समागम में ’विस्तार-असीम की ओर’इस मुख्य विषय पर आधारित निरंकारी प्रदर्शनी श्रोताओं के लिए मुख्य आर्कषण का केन्द्र बनी रही। इस दिव्य प्रदर्शनी को मूलतः दो भागों में विभाजित किया गया था जिसके प्रथम भाग में भक्तों को मिशन के इतिहास, विचारधारा एवं सामयिक गतिविधियों के अतिरिक्त सतगुरु द्वारा देश व विदेशों में की गई दिव्य कल्याणकारी प्रचार यात्राओ की पर्याप्त जानकारी दी गई थी। द्वितीय भाग में संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन द्वारा स्वास्थ्य एवं समाज कल्याण विभाग के सभी उपक्रमों व गतिविधियों को दर्शाया गया था जिसमें प्रोजेक्ट वननेस जो पुरे भारतवर्ष में चल रहे है उसके सम्बंधित कुछ विशेष मॉडल्स इस प्रदर्शनी का केंद्रबिंदू बने रहे। इसके अतिरिक्त प्रोजेक्ट अमृत और निरंकारी इंस्टिट्यूट ऑफ म्यूजिक एंड आर्ट्स को देखने के लिए श्रद्धालु जन उत्साहित दिखाई दिए।    कायरोप्रॅक्टिक शिविर समागम में काईरोप्रैक्टिक तकनीक के द्वारा निःशुल्क स्वास्थ्य लाभ का शिविर आयोजित किया गया। यह तकनीक पूर्ण तोर पर रीढ़ की हड्डी से जुडी है। इस तकनीक द्वारा हर रोज लगभग हजार लोग समागम में इस सेवा का लाभ उठा रहे थे। ऑस्ट्रेलिया, यूनाईटेड किंगडम, फ्रांस, अमेरिका के 18 डॉक्टरों की टीम समागम ग्राउंड में अपनी निस्वार्थ सेवाएं प्रदान कर रही थी। इस वर्ष करीब 3500 से अधिक जरुरतमंद श्रद्धालुओं ने इस स्वास्थ्य सुविधा का लाभ प्राप्त किया।

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