78वां निरंकारी संत समागम सेवाभाव, समर्पण और मानवता का दिव्य उत्सव
समालखा, 28 सितम्बर 2025 (द फ्रीवे ईगल):-संत निरंकारी मिशन का 78वां वार्षिक संत समागम सेवा, श्रद्धा और समर्पण की भावपूर्ण शुरुआत के साथ आरंभ हुआ। सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं निरंकारी राजपिता रमित जी ने अपने पावन कर-कमलों से सेवा स्थल का उद्घाटन किया। इस अवसर पर मिशन की कार्यकारिणी समिति, केंद्रीय सेवादल अधिकारीगण तथा हजारों श्रद्धालु उपस्थित रहे।
आत्म मंथन से मन में व्याप्त कुरीतियों को दूर करें – सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज
समागम सेवा के शुभारंभ पर श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने कहा कि समागम केवल समूह रूप में एकत्रित होने का नाम नहीं है, बल्कि यह आत्म मंथन और सेवा भाव का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि –
- “हर एक में परमात्मा का रूप देखना है, अभिमान से बचते हुए सबका सम्मान करना है। निरंकार का सुमिरण करते हुए जीवन को आध्यात्मिकता से जोड़ना ही वास्तविक सेवा है।”
सतगुरु माता ने आगे कहा कि हमें अपने अंतर्मन में झांककर यह देखना होगा कि हमारा जीवन किस दिशा में जा रहा है। कमियों को दूर कर आत्मज्ञान से अपने विचार और कर्म शुद्ध करने होंगे।
वसुधैव कुटुंबकम की जीवंत झलक
संत निरंकारी मिशन पिछले 96 वर्षों से ‘वसुधैव कुटुंबकम’ अर्थात ‘समस्त संसार एक परिवार’ की भावना को व्यवहारिक रूप देता आ रहा है। मिशन न केवल प्रेम, शांति और समानता का संदेश देता है बल्कि सेवा और सत्संग के माध्यम से इसे जीवन में उतारने का कार्य भी करता है।
600 एकड़ में फैला समागम स्थल
लगभग 600 एकड़ में फैला यह समागम स्थल सेवा, श्रद्धा और मानवता का अनूठा प्रतीक है। यहां लाखों श्रद्धालुओं के लिए निवास, भोजन, स्वास्थ्य, सुरक्षा और आवागमन की व्यवस्थाएं निःस्वार्थ भाव से की जाती हैं। देश-विदेश से आए संतजन और हर वर्ग के श्रद्धालु इस महा उत्सव का हिस्सा बनकर एकत्व और आत्मिक आनंद का अनुभव करते हैं।
इस वर्ष का थीम – आत्म मंथन
इस वर्ष समागम का शीर्षक ‘आत्म मंथन’ रखा गया है, जिसका उद्देश्य है कि इंसान अपने भीतर झांके, कुरीतियों को दूर करे और ब्रह्मज्ञान से जीवन को शुद्ध बनाकर शांति, आनंद और मोक्ष की ओर अग्रसर हो।
मानवता का दिव्य उत्सव
निरंकारी संत समागम न केवल मिशन के अनुयायियों के लिए बल्कि हर धर्म, जाति और भाषा के मानव प्रेमियों के लिए खुला मंच है। यह वह भूमि है जहाँ इंसानियत, आध्यात्मिकता और सेवा का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।