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🕊 मानव सौहार्द और विश्वबंधुत्व का अनूठा दृश्य – 78वां निरंकारी संत समागम 🕊

परमात्मा के अहसास से सरल होगा आत्ममंथन – सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज

समालखा, 2 नवम्बर 2025 | दि फ्रीवे ईगल ब्यूरो
समालखा (दि फ्रीवे ईगल):समालखा की पावन भूमि पर जारी 78वां वार्षिक निरंकारी संत समागम मानव सौहार्द, प्रेम और विश्वबंधुत्व का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत कर रहा है। देश-विदेश से आए लाखों श्रद्धालु इस चार दिवसीय आध्यात्मिक समागम में भाग लेकर मानवता के इस पर्व को जीवंत बना रहे हैं।

दूसरे दिन के सत्संग सत्र में सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि “आत्ममंथन केवल सोचने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि अपने भीतर झांकने की एक साधना है, जो परमात्मा के अहसास से सरल हो सकती है।” उन्होंने बताया कि जब मन ईश्वर से जुड़ता है तो हर कार्य सहजता और पूर्णता की ओर अग्रसर होता है।


🌿 आत्ममंथन – स्वयं के सुधार का मार्ग

सतगुरु माता जी ने आगे कहा कि हम दिनभर अनेक अनुभवों और विचारों से गुजरते हैं — कुछ मधुर वचन मन को प्रसन्न करते हैं तो कुछ कटु शब्द मन को विचलित कर देते हैं। किन विचारों को अपनाना है और किन्हें त्यागना है, यह निर्णय हमारा अपना होता है। विवेकशील व्यक्ति सकारात्मकता चुनकर अपने जीवन में शांति और सुकून प्राप्त करते हैं।

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि “जैसे पहाड़ों पर हमारी आवाज़ प्रतिध्वनि बनकर लौट आती है, वैसे ही हमारा व्यवहार भी दूसरों से प्रतिक्रिया बनकर हमारे पास लौटता है। इसलिए हमारा आचरण सदैव ऐसा होना चाहिए जिसकी प्रतिक्रिया हमारे लिए सुखदायी हो।”

सतगुरु माता जी ने अंत में कहा कि आत्ममंथन वास्तव में स्वयं के सुधार और आत्म-जागृति का मार्ग है। जब मन निरंकार में लीन होता है, तो भीतर की शांति और बाहरी व्यवहार दोनों दिव्यता से भर जाते हैं।


☀️ सार्वभौमिक सत्य और परमात्मा का बोध

इस अवसर पर आदरणीय निरंकारी राजपिता रमित जी ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि “परमात्मा एक ऐसा सत्य है जो सदा से था, सदा है और सदा रहेगा।” उन्होंने कहा कि अलग-अलग दृष्टिकोणों से परमात्मा को बांटना उचित नहीं, क्योंकि सत्य सर्वव्यापी और एक ही है।
उन्होंने बताया कि सत्गुरु की कृपा से ही मानव इस परम सत्य को पहचान पाता है और वास्तविक आत्ममंथन का अनुभव करता है।


🏛 निरंकारी प्रदर्शनी बनी आकर्षण का केंद्र

समागम स्थल पर लगी निरंकारी प्रदर्शनी श्रद्धालुओं के आकर्षण का प्रमुख केंद्र बनी हुई है। आधुनिक तकनीक और प्रकाश व्यवस्था के माध्यम से मिशन के इतिहास, संत निरंकारी मिशन की शिक्षाओं और “आत्ममंथन” विषय पर प्रेरक प्रस्तुति दी गई है।

प्रदर्शनी को तीन भागों में विभाजित किया गया है —

  1. मुख्य प्रदर्शनी: मिशन का इतिहास, सतगुरु माता जी व निरंकारी राजपिता जी की मानव कल्याण यात्राओं का वर्णन।
  2. बाल प्रदर्शनी: बच्चों को दुनियावी और आध्यात्मिक शिक्षा के संतुलन का संदेश देती है।
  3. एसएनसीएफ प्रदर्शनी: संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन की स्वास्थ्य, सुरक्षा और सशक्तिकरण से जुड़ी सामाजिक गतिविधियों की झलक प्रस्तुत करती है।

इन प्रदर्शनों के माध्यम से श्रद्धालु न केवल प्रेरणा प्राप्त कर रहे हैं, बल्कि समाज में प्रेम, सेवा और सौहार्द के संदेश को आत्मसात भी कर रहे हैं।


📌 निष्कर्ष:
78वां निरंकारी संत समागम अपने विषय ‘आत्ममंथन’ के माध्यम से आत्मिक जागृति और मानवता के संदेश को समर्पित है। यह समागम न केवल आध्यात्मिक एकता का प्रतीक है, बल्कि विश्वबंधुत्व और सार्वभौमिक प्रेम का जीवंत उदाहरण भी है।

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