आत्ममंथन की दिव्य झलक बिखेरते हुए — 78वें वार्षिक निरंकारी संत समागम का भव्य शुभारम्भ
समालखा, 31 अक्तूबर 2025 | दि फ्रीवे ईगल न्यूज़ डेस्क
“निरंकार से जुड़कर ही हो पाएगा आत्ममंथन” — सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज
समालखा में 78वें वार्षिक निरंकारी संत समागम का भव्य शुभारम्भ आध्यात्मिक उल्लास और मानवता के संदेश के साथ हुआ।
समागम का विषय “आत्ममंथन” पूरे वातावरण में दिव्यता और आत्म-जागृति की प्रेरणा बिखेर रहा है।
सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने उद्घाटन दिवस पर अपने पावन उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि —
“आत्ममंथन एक भीतर की यात्रा है, जिसे केवल मन और बुद्धि के स्तर पर नहीं बल्कि आध्यात्मिक रूप से किया जा सकता है। जब मनुष्य निरंकार से जुड़ता है, तभी सच्चा आत्ममंथन संभव होता है।”
🌼 लाखों भक्तों की उपस्थिति में हुआ शुभारम्भ
सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज और आदरणीय निरंकारी राजपिता रमित जी की पावन छत्रछाया में आयोजित इस चार दिवसीय समागम में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु भक्त शामिल हुए।
सभी ने भक्ति, सेवा और मानवता के इस अद्भुत संगम का आनंद प्राप्त किया।
सतगुरु माता जी ने आगे कहा —
“हर मानव के भीतर एक स्थिर और शाश्वत सत्य निवास करता है। जब मनुष्य को हर व्यक्ति के भीतर उसी सत्य का दर्शन होता है, तो उसके मन में प्रेम और भाईचारे का भाव जन्म लेता है। लेकिन अज्ञानता के कारण वह नफ़रत को अपना लेता है, जो आत्मिक प्रगति में बाधा बन जाती है।”
उन्होंने समापन में कहा कि यदि मनुष्य स्वयं का सुधार करता चला जाए तो समाज और संसार में शांति, प्रेम और भाईचारे का वातावरण स्वतः स्थापित हो जाएगा।
🌸 स्वागत और शोभायात्रा से गूंज उठा समागम स्थल
समागम स्थल पर सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के आगमन पर संत निरंकारी मंडल की प्रधान श्रीमती राजकुमारी जी ने फूलों की माला पहनाकर स्वागत किया।
मंडल की सचिव डॉ. प्रवीण खुल्लर जी ने पुष्पगुच्छ भेंट किया।
वहीं आदरणीय निरंकारी राजपिता रमित जी का स्वागत अशोक मनचंदा जी और श्री विनोद वोहरा जी ने किया।
इसके पश्चात् दिव्य युगल को फूलों से सुसज्जित पालकी में विराजमान कर एक भव्य शोभायात्रा के रूप में मुख्य मंच तक लाया गया।
🎵 संगीत और भक्ति से भरा वातावरण
मुख्य मंच पर पहुंचने पर निरंकारी इंस्टिट्यूट ऑफ म्यूज़िक एंड आर्ट्स (NIMA) के 2500 से अधिक छात्रों ने भरतनाट्यम और स्वागती गीत प्रस्तुत किए।
पूरा पंडाल भक्ति, प्रेम और दिव्यता के रंग में रंग गया। श्रद्धालु भक्तों की आंखों से आनंद के अश्रु बहने लगे और समागम स्थल भक्ति-भावना से गूंज उठा।
इस आत्ममंथनमय समागम ने न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार किया बल्कि मानवता, प्रेम और एकता के संदेश को भी सशक्त रूप से प्रस्तुत किया।
78वां निरंकारी संत समागम मानवता के इस पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रहा है — “मनुष्य स्वयं को जाने, निरंकार को पहचाने और प्रेम को अपनाए।”
