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🕊️ 78वां निरंकारी संत समागम : प्रेमभक्ति और आत्ममंथन से गूंज उठा समालखा 🕊️

ब्रह्मबोध से ही सम्भव है आत्मबोध – सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज

समालखा (हरियाणा), 01 नवम्बर 2025 | द फ्रीवे ईगल समाचार

समालखा स्थित निरंकारी आध्यात्मिक स्थल पर चार दिवसीय 78वें वार्षिक निरंकारी संत समागम का शुभारंभ परम शांति और प्रेमभाव से हुआ। देश-विदेश से आए लाखों श्रद्धालु जब एक स्थल पर एकत्रित हुए, तो वातावरण “आत्ममंथन” की भावना से ओत-प्रोत हो उठा।

इस अवसर पर सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने अपने अमृतमय विचार साझा करते हुए कहा —

“हमें अपने वास्तविक स्वरूप की पहचान करने के लिए परम अस्तित्व परमात्मा को जानना जरूरी है, क्योंकि ब्रह्मबोध से ही आत्मबोध सम्भव है।”


🌼 एकत्व और सत्य की दिशा में आत्ममंथन

सतगुरु माता जी ने कहा कि संसार में विभिन्न धर्म और आस्थाएँ हैं, परंतु सभी का लक्ष्य एक ही सत्य — निराकार परमात्मा — की प्राप्ति है। जब मनुष्य इस परम सत्य से जुड़ जाता है, तो भेदभाव समाप्त हो जाते हैं और मन में एकत्व का भाव जन्म लेता है।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष का समागम विषय “आत्ममंथन” इसी दिशा में प्रेरित करता है कि हर व्यक्ति अपने भीतर झांके और सत्य की यात्रा आरंभ करे।


💫 अस्थाई हैं भौतिक उपलब्धियां

सतगुरु माता जी ने बताया कि सांसारिक उपलब्धियां, रिश्ते और विचार सब समय के साथ बदल जाते हैं — ये अस्थाई हैं। केवल परमात्मा ही स्थायी है, जो हमारे भीतर और बाहर दोनों में विद्यमान है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा —

“जिस प्रकार कमरे का अंधेरा स्विच ऑन करते ही दूर हो जाता है, उसी तरह ब्रह्मज्ञान से अज्ञानता का अंधकार तुरंत समाप्त हो जाता है।”


🕉️ आत्ममंथन – आध्यात्मिक यात्रा

सतगुरु माता जी ने स्पष्ट किया कि आत्ममंथन कोई मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि यह एक आध्यात्मिक साधना है। निरंकार का निरंतर अहसास, अपनी गलतियों का स्वीकार और सुधार करने की भावना ही भक्ति का सार है।
उन्होंने शुभकामना दी कि हर व्यक्ति का जीवन भक्ति, विनम्रता और प्रेम से परिपूर्ण हो।


🌸 माननीय राज्यपाल की उपस्थिति

समागम के प्रथम दिवस पर हरियाणा के माननीय राज्यपाल श्री आशिष कुमार घोष अपनी धर्मपत्नी सहित पधारे। उन्होंने सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं निरंकारी राजपिता जी के चरणों में नमन कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
राज्यपाल महोदय ने निरंकारी मिशन की मानवता के प्रति सेवा भावना और सेवादल के अनुशासन की सराहना करते हुए कहा कि यह संगठन समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत है।


🚩 सेवादल रैली – सेवा और समर्पण की मिसाल

समागम के दूसरे दिन का शुभारंभ भव्य सेवादल रैली से हुआ, जिसमें भारत और विदेशों से आए हजारों सेवादल सदस्य शामिल हुए।
रैली में व्यायाम, खेल, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और लघु नाटिकाओं के माध्यम से निःस्वार्थ सेवा और अनुशासन का अद्भुत संगम देखने को मिला।

सतगुरु माता जी ने रैली में उपस्थित सेवादल सदस्यों को आशीर्वाद देते हुए कहा —

“एक सच्चा भक्त चौबीसों घंटे सेवादार होता है। जब वर्दी पहनकर सेवा की जाती है, तो उसकी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। सेवा का भाव दिखावे के लिए नहीं, बल्कि आत्ममंथन की भावना से होना चाहिए।”

उन्होंने सभी से कामना की कि सेवा, सत्संग और सुमिरण का भाव निरंतर बढ़ता रहे।

इस अवसर पर सतगुरु माता जी और आदरणीय निरंकारी राजपिता जी ने शांति के प्रतीक श्वेत ध्वज का आरोहण कर मानवता को प्रेम, शांति और समर्पण का संदेश दिया।

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